क्या होगा इंसानी सभ्यता का भविष्य ? - पार्ट-1 - What Will Be The Future Of Human Civilization? - Part-1

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 मशहूर लेखक Herbert George Wells का एक कथन है की


' यह विश्वास करना संभव है कि 
मानव मन ने अब तक 
जो भी हासिल किया है वह 
जागृति से पहले का सपना है '

मानवता 4 अरब वर्षों के विकास का असंभावित परिणाम है और इसके विकास की रफ़्तार बढ़ती ही जा रही। बीती सदियों में इंसानी सभ्यता ने खुद को बचाये रखने और निरंतर आगे बढ़ने की कोशिश की जिसका परिणाम आज हम सब लोग है। लेकिन सवाल यह है की क्या हमारी आने वाली पीढ़ी आगे का भविष्य देख पाएंगी?, कैसा होगा उनका भविष्य?,क्या इंसान भविष्य में पृथ्वी पर ही रहेंगे? या फिर पृथ्वी के विनाश के साथ हमारा भी विनाश हो जाएगा या आपसी जंग में खुद को तबाह कर लेंगे। सवाल बहुत है और जवाब बहुत कम भविष्य की भविष्यवाणी करना कठिन है। दुनिया शायद ऐसे तरीकों से बदलेगी जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। लेकिन अतीत को देखकर हम आने वाले भविष्य का सिर्फ मात्र अनुमान लगा सकते है।


अनुमानों के आधार पर इंसानी सभ्यता के पास सिर्फ तीन विकल्प है:


विलुप्ति 

बचाव 

विकसित इंसानी सभ्यता


जैसा की हम जानते है की अतीत में इंसानो ने हर तरह की मुसीबतों का सामना किया है बाढ़, सूखा, भूकंप, चक्रवात, सुनामी, महामारी सब झेला है फिर भी इन सब के बावजूद हम फिर उठ खड़े हुए और खुद का वजूद इस धरती पर कायम रखा,जो इस बात का सबूत है कि मानवता न केवल आने वाली सदियों तक जीवित रह सकती है, बल्कि भविष्य में गहराई तक पनप सकती है। पर जिस तरह से बढ़ती आबादी, प्रदूषण, क्लाइमेट चेंज, ग्लोबल वार्मिंग, इन सबको देख कर यही लगता है की अब मानवता अपने चरम सीमा पर पहुंचने के कगार पर है। ​​​​​ऐसा महसूस होता है मानो भविष्य किसी भी दिशा में झुक सकता है। परमाणु हथियारों के अविष्कार के बाद इसने बाकी सभी प्राकृतिक आपदाओं को छोटा कर दिया है और कुछ वैज्ञानिक अनुमानों के बात माने तो प्राकृतिक आपदाओं की तुलना में इस बात की अधिक संभावना है की मानव जाति अपनी ही गतिविधियों के कारण विलुप्त हो जायेगी। वैज्ञानिक शोधकर्ताओं के अनुसार इंसानो को अपना वजूद कायम रखने के लिए चार सबसे बड़े जोखिमों का सामना करना पड़ेगा जो है परमाणु युद्ध, जलवायु परिवर्तन, बायो टेक्नोलॉजी, आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस

 

इन चारों जोखिमों को गहराई से समझने के लिए हमें इन सभी के सबसे ख़राब परिणामो की कल्पना करनी होगी।

     

    परमाणु युद्ध l Nuclear War

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    भविष्य में हुए परमाणु युद्ध धरती की  63% आबादी का सफाया कर देगा। बड़े पैमाने पर हुए परमाणु युद्ध से पैदा हुई कालिख स्ट्रेटोस्फियर (Stratosphere) में फ़ैल जायेगी,जो धुप को धरती पर पहुँचने से रोक देगी जिसकी वजह से ग्लोबल टेम्परेचर 10 डिग्री तक ठंडा हो जाएगा। ठंडे हुए तापमान की वजह से बड़े पैमाने पर फसल बर्बाद हो जायेगी और अकाल की सम्भावना बढ़ जायेगी। इस स्थिति को नुक्लेअर विंटर (Nuclear Winter) कहा जाएगा। पृथ्वी पर जलवायु को सामान्य स्थिति में लौटने के लिए एक दशक से अधिक का समय लगेगा। इस समय तक, पृथ्वी की अधिकांश मानव आबादी बहुत पहले ही मर चुकी होगी। परमाणु हथियार पृथ्वी पर सबसे खतरनाक हथियार हैं। कई सरकारी एजेंसी और देश विदेश की संस्थाओं ने परमाणु हथियारों को कम या बिलकुल खत्म करने की बात रखी पर इन सबके बावजूद धरती पर 10,000  परमाणु हथियार मजूद है। 
     

    जलवायु परिवर्तन l Climate Change

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    वैश्विक जलवायु अनुमान से कहीं ज्यादा तेज़ी से बदल रही है और इसका असर साफ़ तौर पर नज़र आने लगा है हमारी जलवायु में हाल के अधिकांश परिवर्तन मानव गतिविधियों के कारण हुए हैं। 1750 जब से औद्योगिक क्रांति (Industrial Revolution) की शुरुवात हुई तबसे CO2 की मात्रा में उछाल आने लगा और तब से लेके अब तक CO2 की मात्रा 30% बढ़ गयी है। हम लगतार बड़ी मात्रा में फॉसिल फ्यूल्स (Fossil Fuels) जला रहे है जो लगतार CO2 छोड़ रहे है। ग्रीन हाउस गैसेस CO2 और मीथेन की मात्रा बढ़ते जा रही है इन गैसों ने ट्रोपोस्फीयर (Troposphere) में एक घनी चादर बनाली है, जो सूरज की किरणों को वापस अंतरिक्ष में जाने से रोक रही जिसके वजह से ग्लोबल वार्मिंग यानी पृथ्वी का तापमान बढ़ाता जा रहा है। 
     
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    साल दर साल मानव गतिविधियों की वजह से पृथ्वी गरम होते जा रही हैसाल 2100 आते आते पृथ्वी का तापमान 2.7 डिग्री तक बढ़ जाएगा। बढ़ता तापमान विनाशकारी परिणामों की एक श्रृंखला को जन्म देगा। बर्फ की चोटियों पिघल जाएंगी और समुद्र का स्तर अनियंत्रित रूप से बढ़ जाएगा जिससे बाढ़ और सुनामी आएँगी जो तटीय इलाको को पूरी तरह से डुबो देंगी। एक अरब से अधिक लोगों का विस्थापन हो जाएगा। गर्मी की लहरें, तूफान, सूखा और बवंडर जैसी प्राकृतिक आपदाएँ लगातार घटित होती रहेंगी। सूखे की समस्या पैदा हो जाएगी। धरती और समुद्री जीव जन्ति विलुप्ति की कगार पर आ जाएंगे। बदलते मौसम फसल की पैदवार को कम कर देंगे जो वैश्विक भुख्मरी को जन्म देंगी और जिसके वजह से लाख करोड़ों लोगो की मौत हो जायेगी। तरह तरह की बीमारियां जन्म लेगी जो इंसानी सभ्यता का नामोनिशान मिटा देगी
     

    बायो टेक्नोलॉजी l BioTechnology

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    बायो टेक्नोलॉजी भोजन की कमी और बीमारियों से लड़ने में सक्षम है। साथ ही फसल की पैदावार और उसकी गुणवक्ता को इसकी मदद से बढ़ाया जा सकता है जो पूरी तरह से इंसानो के लिए पौष्टिक आहार उत्पन करेगी। भुखमरी को यह एक हद तक खत्म कर देगी। बायो टेक्नोलॉजी की मदद से हमारे जल वायु में बढ़ते प्रदूषण को कम किया जा सकेगा। पर जहां बायो टेक्नोलॉजी एक तरफ मानव के लिए कारगर साबित हो रही है तो दूसरी तरफ इसका एक भयानक रूप भी है। लगातार इस टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से धरती की उपज शक्ति ख़त्म हो जाएगी, जेनेटिकली मॉडिफाइड जीवाणु वातावरण में मिल कर पूरा इकोसिस्टम बिगाड़ देंगे जो इंसानो के लिए हानिकारक साबित होगी। आनुवंशिक रूप से संशोधित भोजन मानव शरीर के लिए खतरनाक बन कर तरह तरह की बीमारियों को जन्म देगी जिसे इंसानो की दर्दनाक मृत्यु होगी। बायो टेक्नोलॉजी से हुए नुक्सान की असीम धारणाएं हो सकती है। गलत हाथों में बायो टेक्नोलॉजी सामूहिक विनाश के हथियार भी बना सकती है इन हथियारों में से एक हथियार होगा बायो वेपन। जैव युद्ध में विनाश की शक्ति परमाणु युद्ध से कहीं ज्यादा होगी जो पूरी मानव जाति का सर्वनाश कर देगी।
     

    आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस l Artificial Intelligence

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    आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस के गॉडफादर कहे जाने वाले Geoffrey Hinton ने एक इंटरव्यू में कहा था की उनको इस बात का हमेशा अफ़सोस रहेगा की उन्होंने आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का इजाद किया।शुरुवाती तौर पे AI बड़े कमाल की टेक्नोलॉजी साबित हुई और बीते कुछ सालों में AI की वजह से स्पेस एक्सप्लोरेशन, डाटा पैटर्न को देख कर भविष्य में होने वाली घटनाओ का अनुमान लगा सकने में हम सक्षम होते जा रहे है। वैज्ञानिक खोजों और नई दवाओं के निर्माण में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का बड़ा योगदान होता जा रहा पर जैसा की हम जानते है और सिक्के के दो पहलू होते है AI के भी है । 


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    आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस को लेकर यह धारणाएं बताई गयी है की AI हमारा सहयोगी बन कर एक बेहतर दुनिया का निर्माण कर सकेगा या फिर एक ऐसा खतरा और जोखिम बन जाएगा जिसकी चतुराई से इंसानो का बचना बेहद मुश्किल हो जायेगा। नौकरियां खत्म हो जाएँगी, प्राइवेसी की धज्जियां उड़ जाएंगी, AI के कारण नैतिकता और सद्भावना कमजोर हो जायेगी। पक्षपाती AI का उपयोग यह निर्धारित करने के लिए किया जाएगा कि कोई व्यक्ति नौकरी, बंधक, सामाजिक सहायता या राजनीतिक शरण के लिए उपयुक्त है या नहीं, जिससे संभावित अन्याय और भेदभाव पैदा हो जाएगा। इंसानो की जगह सुपर इंटेलीजेंट मशीने ले लेगी। मशीनों का विकास इंसानो के विकास के मुक़ाबले कहीं ज्यादा तेज़ी से होगा और जिसकी कोई सीमा नहीं होगी।  
     
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    समय रहते ए आई के लिए सख्त नियम और कानून बनाए जाए ताकि AI का सुरक्षित और नैतिक उपयोग सुनिश्चित हो सके, क्यों की A.I बहुत तेज़ी से हर तरह के ज्ञान को अर्जित कर रहा है और यह भी हो सकता है की आने वाले समय में A.I में चेतना और जीवन का विकास होने लगेगा। A.I की सोचने और समझने की शक्ति इंसानो से कहीं ज्यादा होगी जिस से इंसानो पर इनकी हुकूमत होना की संभावना कहीं ज्यादा बढ़ जायेगी धीरे-धीरे आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस पृथ्वी पर फ़ैल जाएंगे जिस से इंसानी सभ्यता या तो इनसे जंग करेगी या इनकी गुलाम बन जायेगी।  
     
     
    हमने आपको चार ऐसे मुख्य कारण और उनकी धारणाएं बताई है जो मानव के विनाश का कारण बन सकते है। पृथ्वी के इतिहास में पहले ही पाँच सामूहिक विनाश हो चुके है अगर समय रहते मानव गतिविधियों पर लगाम न लगायी गयी तो वह दिन दूर नहीं जब छठी तबाही हमारी होगी और हमारी गिनती विलुप्त प्रजातियों में की जाएंगी। 
     
    कैसे बचेगी  इंसानी सभ्यता खुद के विनाश से ? जानने के लिए नीचे दिए गए LINK पर CLICK कीजिये और पढ़िए
     

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