"इतिहास इंसान से ज्यादा
उसकी गाथा में रूचि रखता है,
इंसानियत से ज्यादा हैवानियत में दिलचस्पी है,
नेक काम से ज्यादा खोखले भाषण,
इतिहास को जंग याद रहती है पर शहीद नहीं।"
इतिहास इस जंग को चाहे जैसे भी याद रखे, अगर याद रखे लेकिन यह उन मासूम और बेबस लोगों के उस डरावने पहलू से हमेशा अनजान रहेगा जिन्होंने तबाही और मौत के सारे मंज़र देखें। इस जंग ने ना जाने कितनी जाने ली, कितनी औरतों को विधवा किया, कितने बच्चों को अनाथ किया, कितनो को बेघर कर दिया, ना जाने कितने गुमशुदा हो गए, ना जाने कितनी सरहदें बना दी। सियासी हुक्मरानो के फैसले का नतीजा मासूम लोग की बर्बादी के सारे रास्ते खोल देता है। यह जंग स्वतंत्रता और राष्ट्रों के स्वाभिमान के लिए संघर्ष के रूप में नहीं, बल्कि एक विशाल नरसंहार और आम आदमी के बलिदान के रूप में विकसित हुआ है। इस लड़ाई में विश्व ने विनाश की उस तस्वीमर को देखा जिसको दोबारा कोई नहीं देखना चाहेगा। आज हम आप के लिए लेके आये है अतीत के पन्नो से विश्व युध्द - l (World War-l) या फिर यूँ कहिये दी ग्रेट वॉर (The Great War) की कहानी।
क्यों शुरू हुआ विश्व युद्ध-l ? | Why Did The World War - l Begin?
तारीख 28 जून 1914, दिन रविवार को साराजेवो, बोस्निआ (Sarajevo, Bosnia) के फ्रांज़-जोसफ-स्ट्रीट पर तेज़ रफ़्तार में दौड़ती Gräf & Stift कार के ड्राइवर ने जब गलती से एक रॉंग टर्न (Wrong Turn) लिया तो उस एक रॉंग टर्न (Wrong Turn) ने विश्व के आने वाले अगले चार सालों की दिशा ही बदल दी। उस एक रॉंग टर्न का फायदा मिला एक शक़्स को जो भीड़ को चीरता हुआ आया और जिसकी बन्दूक से निकली सिर्फ दो ही गोलियों ने कार में बैठे दोनों शक्सों के साथ साथ 1.5 से 2.2 करोड़ लोगो को भी मौत के घाट उतार दिया। कार में सवार थे हंगरी तथा बोहेमिया के राजकुमार और ऑस्ट्रिया-हंगरी के राजा बनने के अगले प्रतिभागी आर्कड्यूक फ्रांज़ फर्डीनांड (Archduke Franz Ferdinand) और उनकी पत्नी सोफी, डचेस ऑफ़ होहेनबर्ग (Sophie, Duchess of Hohenberg), उनपे गोली चलाने वाले शक़्स था सर्ब राष्ट्रवादी गवरिलो प्रिंसिप (Gavrilo Princip), यूरोपीय देशों के बीच बढ़ती प्रतिद्वंद्विता और बड़े साम्राज्यों की महत्वाकांक्षा की जो चिंगारी बरसों से सुलग रही थी उसको इन दोनों की हत्या ने और भड़का दिया जिसने विश्व युद्ध का विकराल रूप ले लिया। जिससे विश्व युद्ध की शुरुवात हो गयी।
विश्व युध्द-l के मुख्य कारण | Main Causes Of World War -l
विश्व युद्ध -l सिर्फ एक ही कारण से नहीं हुआ बल्कि इसके कई कारण थे। हम कई शीर्षकों के तहत मूल कारणों को समझने की कोशिश करेंगे।
- विश्वव्यापी विस्तारवादी रणनीति | Worldwide Expansionist Strategy
जर्मनी की विस्तारवादी रणनीति से लेकर साम्राज्यवाद और सैन्यीकरण तक प्रथम विश्व युद्ध के कारण थे। 1871 में अपने एकीकरण के बाद जर्मनी एक औद्योगिक शक्ति बन रहा था। जर्मनी के नए सम्राट विल्हम द्वितीय ने 1890 में अपने राष्ट्र को वैश्विक शक्ति बनाने के लक्ष्य के साथ एक विदेशी रणनीति शुरू की। यूरोप के अन्य देश, खास तौर पर फ्रांस और ब्रिटेन, जर्मनी से ख़तरा महसूस कर रहे थे, जिसके कारण अंतरराष्ट्रीय स्थिति अस्थिर हो गई।
- विभिन्न संधियां यानि गठबंधन प्रणाली | Various Alliance Systems
यूरोप में 19वीं शताब्दी के दौरान शक्ति को संतुलित रखने के लिए विभिन्न देशों ने अलायन्स अथवा संधियां हुआ करती थी । उस समय कई तरह की संधियां गुप्त रूप से होती थी। विश्व युद्ध -l पहले कई देश एक संधि (Treaty) के तहत गए थे, जिसमें यह था की अगर इस समझौते के अंतर्गत आये देश पर किसी भी तरह का हमला होता है तो दूसरे देश को उसकी रक्षा करनी पड़ेगी। इस संधि के अंतर्गत जो देश थे वह है रूस और सर्बिया (Russia & Serbia), जर्मनी और ऑस्ट्रिया-हंगरी (Germany & Austria-Hungary), फ्रांस और रूस (France & Russia), ब्रिटेन और फ्रांस और बेल्जियम (Britian, France & Belgium), जापान और ब्रिटेन (Japan & Britian). 1882 में जर्मनी ऑस्ट्रिया-हंगरी और इटली के बीच ट्रिपल अलायन्स संधि (Triple Alliance Treaty) हुई थी। साल 1904 में ब्रिटेन और रूस के बीच कोर्दिअल इंटेंट (Cordial Entente) नामक संधि हुई। फ्रांस और रूस ने 1895 से गठबंधन बनाए रखा था। 1907 में फ्रांस, रूस और ग्रेट ब्रिटेन के बीच अनौपचारिक गठबंधन हुआ जिसे ट्रिपल इंटेंट (Triple Entente) के नाम से जाना गया।
- यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय | The Rise Of Nationalism In Europe
19वीं शताब्दी मे देशभक्ति की भावना ने पूरे यूरोप को अपने पाले में लिया था। जर्मनी, इटली, अन्य बोल्टिक देश आदि जगह पर राष्ट्रवाद पूरी तरह से फ़ैल चुका था। इसी वजह से यह युद्ध ‘ग्लोरी ऑफ़ वार’ कहलाया था। यूरोप के प्रत्येक देश ने अपने राष्ट्रवाद को साबित करके और दूसरों पर हावी होने की कोशिश करके युद्ध को बढ़ाने में योगदान दिया। इन देशों को लगने लगा कि कोई भी देश लड़ाई लड़ के और जीत के ही महान बन सकता है। इस तरह से देश की महानता को उसके क्षेत्रफल से जोड़ के देखा जाने लगा।
बोस्निया और हर्ज़ेगोविना के लोग अब ऑस्ट्रिया-हंगरी का हिस्सा नहीं बनना चाहते थे बल्कि सर्बिया से जुड़े रहना चाहते थे। इसे युद्ध शुरू करने के सबसे महत्वपूर्ण कारणों में से एक माना जा सकता है।
- प्रथम विश्व युद्ध का साम्राज्यवाद | World War - I Imperialism
शक्ति का उपयोग करके अपनी क्षेत्रीय सीमा के दायरे को बढ़ाने की नीति को साम्राज्यवाद के रूप में जाना जाता है। उस समय पश्चिमी यूरोपीय देश चाहते थे कि उनके कॉलोनिस या विस्तार अफ्रीका और एशिया में भी फैले। अफ्रीका और एशिया संघर्ष के बिंदु थे और कई यूरोपीय देशों को आकर्षित किया। यह समय 1880 के बाद का था जब सभी बड़े देश अफ्रीका पर क़ब्ज़ा कर रहे थे। इन देशों में फ्रांस, जर्मनी, होलैंड बेल्जियम आदि थे। इन सभी देशों का नेतृत्व ब्रिटेन कर रहा था। ब्रिटेन का उस समय काफी देशों पर कब्ज़ा था। पूरी दुनिया के 25% हिस्से पर ब्रिटिश शासन का राजस्व था। इस 25% क्षेत्र की वजह से इनके पास बहुत अधिक संसाधन आ गए थे। इसकी वजह से इनकी सैन्य क्षमता में भी खूब वृद्धि हुई। प्रथम विश्व युद्ध के अनुकरण में शक्ति और बढ़ती प्रतिस्पर्धा की इच्छा एक प्रमुख शक्ति थी। बढ़ती प्रतिद्वंद्विता और बड़े साम्राज्यों की महत्वाकांक्षा के परिणामस्वरूप संघर्ष में वृद्धि ने प्रथम विश्व युद्ध के विस्फोट में योगदान दिया।
- सैन्यवाद में होती बढ़ोतरी | Increasing Militarism
दुनिया के सैन्यीकरण ने देशों के युद्ध में शामिल होने में योगदान दिया। सैन्य शक्तियों में वृद्धि भी दुनिया को इस विनाशकारी युद्ध में धकेलने वाले कारणों में से एक थी। 20वीं सदी में दुनिया के प्रवेश करते ही हथियारों को लेकर प्रतियोगिता शुरू हो गई। हर देश ने खुद को आधुनिक हथियारों से लैस करने का प्रयास किया। सभी देशों ने उस समय आविष्कार होने वाले मशीन गन, टैंक, बन्दुक, 3 बड़े जहाज़, बड़ी आर्मी का कांसेप्ट आदि लाया गया। 1900 के दशक में ब्रिटेन और जर्मनी दोनों ने अपने नौसैनिक शस्त्रागार में बड़े और बेहतर युद्धपोत शामिल किए। यूरोप के बाकी देशों ने भी यही किया।1914 तक, ज़्यादातर यूरोपीय देशों की सेनाएँ युद्ध के लिए तैयार थीं। बस इसे जलाने के लिए एक चिंगारी की ज़रूरत थी। वह चिंगारी तब आई जब 28 जून, 1914 को बोस्निया के साराजेवो में आर्चड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड (Archduke Franz Ferdinand) की हत्या कर दी गई। जहाँ से विश्व युद्ध की शुरुवात हो गयी।
अभी तक आपने जाना की कैसे विश्व युद्ध - l की शुरुवात हुई और क्या इसके मुख्य कारण थे, पर क्या आप जानते है की कितने देश विश्व युद्ध में शामिल थे ?, भारत देश की क्या भूमिका रही विश्व युद्ध में ? कैसे हुआ अंत विश्व युद्ध का ? क्या था विश्व युद्ध का परिणाम ?
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