दुनिया बहुत तेज़ी से बदल रही है और इस बात की अधिक संभावना है की मानव जाति अपनी ही मानवीय गतिविधयों के कारण अपने वजूद का विनाश कर लेगी। मानवता को विलुप्त होने से बचाने के लिए एक हम सभी को एक सहयोगात्मक दृष्टिकोण की जरुरत है। पर्यावरण संरक्षण, जनसंख्या नियंत्रण, स्वास्थ्य देखभाल सुधार, शिक्षा, प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण, वैज्ञानिक अनुसंधान, सामाजिक न्याय और प्रभावी शासन को प्राथमिकता देकर, हम सभी के लिए एक स्थायी और सुरक्षित भविष्य बना सकते हैं। ठोस प्रयासों और वैश्विक सहयोग के माध्यम से, हम मानवता के सामने आने वाले असंख्य खतरों से उसकी रक्षा कर सकते हैं। जिससे इंसानी सभ्यता अपने अस्तित्व को बचा सकती और लम्बे समय तक पृथ्वी पर फल फूल सकती।
चलिए आज हम जानेगे कैसे इंसानी सभ्यता खुद की विलुप्त होने से बचा सकती है।
पर्यावरण संरक्षण l Environment Protection
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पर्यावरण संरक्षण यह एक चुनौतीपूर्ण मुद्दा है। कई सरकारी संस्थाएं, एजंसिया, बड़े-बड़े उद्यमी और संयुक्त राष्ट्र का वैश्विक समुदाय पर्यावरण संरक्षण में शामिल है। फैक्टरियों और गाड़ियों से निकला धुंआ और गैस वायुमंडल को बहुत हानि पहुंचा रहा है। साल 2030 तक हमें वायु मंडल में हो रहे कार्बन उत्त्सर्जन को लगभग 30 गीगा टन कम करने की जरुरत है। फॉसिल फ्यूल्स को जला कर पैदा की गयी ऊर्जा की जगह हमें रिन्यूएबल एनर्जी जैसे सोलर एनर्जी, विंड पावर, हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर की ओर अपने कदम बढ़ाना जरुरी है। हमें ऐसे फैक्ट्रियों और ट्रांसपोर्टेशन प्रणाली की जरुरत है जो कम से कम कार्बन एमिशन कर और जिससे पर्यावरण को संतुलन बना रहे। साथ ही साथ हमें बायो डाइवर्सिटी को भी बचाने की जरुरत है जैव विविधता हमें स्वच्छ हवा, पानी और भोजन देते है, इनके बिना मानव किसी भी रूप में जीवित नहीं रह सकता। वनों की कटाई पर रोक लगाना बहुत जरुरी है ताकि विलुप्त होती प्रजातियां बचाई जा सके।
जनसंख्या नियंत्रण l Population Control
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जब तक आपके इस लेख को पढ़ेंगे तब तक 278 नयी ज़िंदगियाँ हमारी आबादी में जुड़ गयी होंगी जी हां हम बात कर रहे है जनसंख्या की। वर्ष 2000 में जनसंख्या 6 अरब तक पहुंच गई और आज 2024 में हम 8 अरब हो गए है। विशेषज्ञों का कहना है अगर हमने बढ़ती आबादी की समस्या को अनदेखा किया तो भविष्य में इसके घातक परिणाम हो सकते है। खाने की कमी, तेज़ी से जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता हानि, प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन इन सबका एक ही कारण होगा बढ़ती जनसंख्या। जो किसी न किसी रूप में मानव के विनाश का कारण बन सकती है। दुनिया भर की सरकारों को चाहिए की जनसंख्या को लेकर नियमित रूप से जागरूकता अभियान चलाये, शिक्षा का स्तर और उसका दयारा बढ़ाये, महिलाओं को फॅमिली प्लानिंग के बारे में बताये। लोगो को समझाया जाए की बढ़ती आबादी के कारण कितनी समस्याएं उत्त्पन हो सकती है और भविष्य में इसके कैसे परिणाम होंगे। इन छोटे छोटे प्रयासों से हम अपनी और पृथ्वी के लिए एक शुद्ध और स्वच्छ भविष्य बना सकते है।
तकनीकी संतुलन l Technological Balance
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" एक पुरानी कहावत है की चीज़ें कभी नहीं बदलती बस वह बेहतर हो जाती है " -Unknown
प्राचीन काल से ही टेक्नोलॉजी इंसानो के लिए एक वरदान के रूप में साबित हुई है और हर सदी में टेक्नोलॉजी और बेहतर होते गयी है। बेहतर होती टेक्नोलॉजी ने इंसानो के जीने के स्तर को बेहतर किया और देश और दुनिया की विकास में भी बड़ा योग दान दिया है। पर जैसे की हम सब जानते है की फायदे के साथ साथ नुक्सान भी होता है। एक तरफ टेक्नोलॉजी ने दुनिया बेहतर की तो दूसरी तरफ इसको बर्बाद भी कर रही है। प्राकृतिक संसाधनों की ज्यादा खपत, इलेक्ट्रॉनिक कचरे का उत्पादन, ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन, वायु एवं जल प्रदूषण में भी टेक्नोलॉजी का बड़ा सहयोग है, जो पृथ्वी पर सभी जीव जंतु के विनाश का एक कारण भी बनेगी। अब सवाल आता है क्या टेक्नोलॉजी सच में हमें विनाश की ओर ले जा रही है या इसका कोई समाधान भी है ? इसका सिर्फ एक ही समाधान है की टेक्नोलॉजी, प्रकृति और इंसानों के बीच सही तालमेल बैठाने की जो कोई नामुमकिन सी बात नहीं है। टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर हम प्रकृति और खुद को विपदाओं से बचा सकते है , वैज्ञानिकों की माने तो उनके मुताबिक कुछ ऐसे सुझाव है जो प्रकृति के साथ साथ हम सबके लिए कारगर साबित होंगे।
1. रिन्यूएबल एनेर्जी l Renewable Energy
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रिन्यूएबल एनेर्जी पर्यावरण की सुरक्षा और टिकाऊ भविष्य की ओर परिवर्तन में एक प्रमुख तत्व बन गए हैं। यह प्राकृतिक रूप से हमें मिलते ही जैसे सोलर एनेर्जी, विंड पावर, और हाइड्रो एनेर्जी और बायोमास। इन सबके इस्तेमाल से न तो किस भी तरह का प्रदूषण फैलता है और ना ही पर्यावरण को किसी तरह की हानि होती है। यह ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और जीवाश्म ईंधन (Fossil Fuels) पर निर्भरता कम करने में योगदान देते हैं।
2. वेस्ट मैनेजमेंट l Waste Management
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इस प्रक्रिया में इंसानो द्वारा पैदा किये कचरे को जमा करना और सही तरीके से रीसायकल कर के फिर से उपयोग में लाना होता है। ऐसा करने से नयी उपयोगी चीज़ें बनाने में कच्चे माल की खपत बिलकुल कम हो जायेगी जो पर्यावरण के लिए बहुत लाभदायक होगा। टेक्नोलॉजी की मदद से हम स्वचालित कचरा छँटाई जैसी मशीन का निर्माण कर सकते है जो रीसाइक्लिंग के प्रक्रिया में गति ला सकती है। सरकारों को बड़े शहरों के नियमित सफाई के लिए स्मार्ट बिन को लगने की योजना बनानी चाहिए जो सेंसर युक्त हो जिसमे कचरा पूरी तरह से भरने पर उसे खाली किया जा सके। ऐसा करने से गंदिगी और बिमारी कम हो जाएंगी और पर्यावरण भी बचा रहेगा।
3. इलेक्ट्रिक व्हीकल्स l Electric Vehicles
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इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर्यावरण पर टेक्नोलॉजी का सकारात्मक प्रभाव प्रदर्शित करते हैं क्योंकि यह कार्बन उत्सर्जन नहीं करते हैं, जो 'ग्रीनहाउस प्रभाव' में योगदान देता है और ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनता है। इसके अलावा, यह वायु प्रदूषण में योगदान नहीं देते हैं, जिसका अर्थ है कि वे स्वच्छ हैं और मानव स्वास्थ्य, जानवरों, पौधों और पानी के लिए कम हानिकारक हैं।
हमें सही तकनीक का सही तरीके से उपयोग करने की जरूरत है। हमें जादुई समाधान की प्रतीक्षा करना बंद करना होगा और वृद्धिशील विकास, छोटे और बड़े कदमों का स्वागत करना होगा जो वास्तविक परिवर्तन की ओर ले जाते हैं। हमें अपने व्यवहार में बदलाव लाने की जरूरत है, खासकर उपभोग के मामले में, और उस बदलाव को संभव बनाने वाली टेक्नोलॉजी का स्वागत करना होगा। अंततः, हमें टेक्नोलॉजी को अपनाने की ज़रूरत है, यह सुनिश्चित करने के लिए कि यह स्थिरता की दिशा में हमारी विभिन्न यात्राओं का समर्थन करती है, यह सुनिश्चित करने के लिए कि टेक्नोलॉजी समाधान का हिस्सा बने।
अभी तक के दो भागो में आपने जाना की कैसे इंसानी सभ्यता विलुप्त हो जाएगी और कैसे इंसान खुद को विलुप्ति से बचा सकते है। पर क्या होगा इंसानी सभ्यता का भविष्य जब वह उनत्त सभ्यता में तब्दील हो जाएंगे।
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