पिछले लेख में आपने जाना की कैसे इंडस्ट्रियल रेवोलुशन की शुरुवात हुई और इसके क्या मुख्य कारण थे जो यह पूरी दुनिया में इतनी तेज़ी से फ़ैल गया, पर जैसे की हम सब जानते है की हर सिक्के दो पहलू होते है एक तरफ इंडस्ट्रियल रेवोलुशन ने क्रांतिकारी रूप लेकर उत्पादन की सक्षमता को बढ़या और लोग के जीने के स्तर को बढ़या, जहां इसने पूँजीपतियों की जेबें भरी और फैक्ट्री और इंडस्ट्रीज का निर्माण किया वहीं दूसरी और इसके कुछ खामियां भी थी। आज के लेख में हम उन खामिया को जानेगे जो इंडस्ट्रियल रेवोलुशन के सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक प्रभाव के अधीन थी। चलिए जानते है
सामाजिक प्रभाव | Social Impact
तेज़ औद्योगिकीकरण के कारण शहरीकरण तेज़ी से हुआ, जिससे कई लोग काम की तलाश में ग्रामीण इलाकों को छोड़कर शहरों में चले गए। इससे कई बड़ी चुनौतियाँ सामने आईं क्योंकि शहर अब भीड़भाड़, प्रदूषण, स्वच्छता के भयावह स्तर और स्वच्छ पेयजल की लगातार कमी से जूझ रहे थे। यद्यपि मध्यम और उच्च वर्गों के जीवन स्तर में नाटकीय रूप से सुधार हुआ, लेकिन गरीब और मजदूर वर्ग के जीवन में कोई बदलाव नहीं आया। यद्यपि कारखानों के मशीनीकरण ने उत्पादन में सुधार किया था, लेकिन काम करने की स्थितियाँ उबाऊ और कभी-कभी ख़तरनाक हो गई थीं। इन श्रमिकों को दिया जाने वाला वेतन भी कम था। कई लोग हफ़्ते में छह दिन 14 से 16 घंटे काम करते थे। पुरुष, महिलाएँ और यहाँ तक कि छोटे बच्चे भी फ़ैक्टरियों में काम करते थे। जिससे ब्रिटेन के औद्योगिक परिदृश्य में बदलावों के प्रति हिंसक विरोध को बढ़ावा मिला।
आर्थिक प्रभाव | Economic Impact
औद्योगिक क्रांति के सबसे महत्वपूर्ण सकारात्मक प्रभावों में से एक औद्योगिक पूंजीवाद का उदय था। औद्योगिकीकरण के कारण मशीनों ने उत्पादन को बहुत बढ़ा दिया। उत्पादन में वृद्धि से वस्तुओं की उपलब्धता बढ़ी। इसका मतलब यह हुआ कि उत्पाद बनाना और खरीदना दोनों ही सस्ता हो गया, जिससे कई फैक्ट्री मालिक अमीर हो गए। औद्योगिक केंद्रों के आस-पास नए नगरों का विकास हुआ जिससे शहर आर्थिक गतिविधियों का आधार बन गए थे। स्वतंत्र कारीगर कारखानों से मुकाबला या यूँ कहिये की उत्पादन में उनकी बराबरी नहीं कर सके जिसे वजह से कुटीर उद्योग यानी कॉटेज इंडस्ट्रीज (Cottage Industries) समाप्त हो गए, साथ ही इसने उत्पादक और उपभोक्ता के बीच सीधा संबंध ख़त्म कर दिया गया । बड़े-बड़े कृषि फार्मों की स्थापना के कारण छोटे किसानों को रोज़गार की तलाश में गाँवों से शहरों की ओर जाना पड़ा।
राजनीतिक और विचारधारा प्रभाव | Political & Ideological Influence
राजनैतिक प्रभाव की बात की जाए तो औद्योगिक क्रांति की शुरुआत के परिणामस्वरूप राज्य के उद्योग धंधों में वृद्धि हुई और साथ ही प्रशासनिक कार्य भी बढ़ा। औद्योगिक क्रांति से कामगारों और मजदूरों की दशा जहां सोचनीय हुई, वहीं पूंजीपतियों की दशा बेहतर होती गयी। पूंजीपति अपना मुनाफा और बढ़ाने के लिए श्रमिकों का शोषण करने लगे। जिसकी वजह से मजदूरों की दशा और भी ज्यादा गिर गई। इसलिए कुछ विचारकों ने मजदूरों की दशा सुधारने के लिए एक नवीन विचारधारा का प्रतिपादन किया जिसे समाजवादी विचारधारा कहते हैं। उनके अनुसार उत्पादन के साधनों पर एक व्यक्ति का अधिकार नही होना चाहिए बल्कि पूरे समाज का अधिकार होना चाहिए। राजनीतिक सत्ता भू-स्वामियों के हाथ से निकलकर उभरते मध्यवर्ग के हाथ में आ गई। उभरते मध्यवर्ग की संसदीय सुधार की मांग के कारण मताधिकार का विस्तार हुआ। कार्ल मार्क्स एवं एंगेल्स के विचारों और नेतृत्व में ‘वैज्ञानिक समाजवाद’ ने जन्म लिया। ब्रिटेन का मानवतावदी उद्योगपति रॉबर्ट ओवन आदर्शवादी समाजवाद की अगवाई की।
इन सभी विवरण एवं विश्लेषण से यह बात साफ़ हो गयी की औद्योगिक क्रांति ने मानव समाज को गहरे रूप से प्रभावित किया। इसके परिणामस्वरूप नई अर्थव्यवस्था ने एक नवीन समाज की रचना की।
लेख के अंत में हम आपको यह बताना चाहेंगे की इंडस्ट्रियल रेवोलुशन के होने से दुनिया में कई बदलाओ हुए। अर्थव्यवस्था बदली, नए शहर बने, जीवन के स्तर में उतार चढ़ाओ हुए , नए नियम कानून बने, नयी विचारधारायें आयी और दुनिया का निर्माण हुआ। औद्योगिक क्रांति के समय शुरू हुए परिवर्तन आज भी वैश्विक प्रगति को प्रभावित करते हैं। औद्योगिक क्रांति के नतीजे ने आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं, समाजों और तकनीकी वातावरण को प्रभावित करते हुए वर्तमान औद्योगिक दुनिया के लिए रास्ता बनाया। नए आविष्कार, नयी खोजें नयी टेक्नोलॉजी आज के दौर में जिन भी चीज़ों का विस्तार हुआ है वह औद्योगिक क्रांति की ही दैन है।