Characteristics Of Moon |
Age | 4.53 Billion Years |
Radius | 1737.4 Km |
Gravity | 1.62m/s2 |
Mean Density | 3.344g/cm3; 0.606 x Earth |
Orbital Period | 27 Days |
Satellite Of | Earth |
Distance From Earth | 3,84,400 Km |
हर रात जब आसमान को अँधेरे की चादर ढक लेती है तब जगमग जगमग सितारों के बीच दिखाई देता है चाँद। आपने अक्सर चाँद पर शेरो-शायरी और गाने जरुरी सुने होंगे, बच्चों की कहानी और कविताओं में भी इसका जिक्र आता है। कई पैमानों पर यह खूबसूरती का मानक भी है, जैसे किसी प्रेमी की प्रेमिका की खूबसूरती की तुलना अक्सर चाँद से ही की जाती है। कई पौराणिक कथाओं में चाँद का जिक्र हुआ है। एक ऐसी पौराणिक कथा एक बूढ़े आदमी की कहानी बताती है जो कहीं जमीन खोद रहा था और खोदते समय उसे एक छोटी सी चमकती चीज़ मिलती है। जैसे ही उसने उस चमकती चीज़ को अपने हाथ में पकड़ा उसका आकार बढ़ने लगा और बढ़ता ही गया, और अंततः वो चीज़ आकाश में उड़ गयी और चाँद का रूप ले लिया। विज्ञान की नज़र में चाँद पृथ्वी पर ज्वार भाटा (Tides) पैदा करता है। बरसो से यह चाँद हम इंसानो के लिए एक जिज्ञासा का विषय रहा है। पर सवाल यह है यह चाँद जो इतना खूबसूरत और प्रभावशाली दिखता है क्या यह हमेशा से ही ऐसा था या इसने अपनी चमक के पीछे छुपा रखा है अपने रहस्मयी इतिहास को जिसको जानने के लिए सदियों से इंसान इस तक पहुँचने का प्रयास करता रहा है। चलिए जानते है क्या है चाँद का रहस्यमयी इतिहास।
यह है चाँद जिसने देखा है पृथ्वी पर हो रहे अनेको घटनाओ को चाहे वह विकास हो या विनाश हो। पृथ्वी के शुरुवाती दौर से लेकर आज के दौर तक चाँद की नज़रों से कुछ नहीं छुपा है। पृथ्वी का हर रहस्य चाँद को पता है पर सवाल यह है की क्या हम इस चाँद के बारे में कुछ जानते है? हमारे शौर्य मंडल में रमा हुआ यह चाँद जिसकी बेजान चट्टानों में इसके शानदार अतीत की कहानी लिखी हुई है। यह कहाँ से आया है? जीवन की कहानी में इसकी क्या भूमिका है? बरसों से हम इंसान चाँद को हैरत भरी नज़रों से देखते आये है पर अब हम आपको इस चाँद के कुछ ऐसे राज़ बताएँगे जिन्हे जानकर आप चाँद के बारें में जो भी अब तक जानते है उसे भूल जाएंगे।
Rocks On Moon's Surface | Photo Credits Wire.com |
चाँद की चट्टानें किसी प्राचीन इतिहास की किताब के पन्नों की तरह हैं। पचपन साल पहले, अपोलो ११ में लाये गए चट्टान के नमूनों ने हमें चंद्रमा के इतिहास की पहली झलक दी थी जो 4.53 बिलियन सालों से छुपा हुआ था। Geochemists ने जब चाँद और पृथ्वी के सैम्पल्स की जांच की है तो पाया है की दोनों के केमिकल प्रॉपर्टीज लगभग एक सी ही है। चन्द्रमा और पृथ्वी के Isotopes भी एक जैसे है और इसके साथ हमने यह भी जाना कि इसमें मौजूद अस्थिर तत्व किसी तरह वाष्पीकृत हो गए हैं। इन सुरागों से पता चलता है कि पृथ्वी और चंद्रमा की उत्पत्ति एक समान है। पर इस उत्पत्ति को साबित करने के लिए हमारे पास क्या सबूत है? कौन सी कहानी इस पर सटीक बैठेगी और सत्यापित करेगी की चाँद की उत्पत्ति इस कहानी के अंतर्गत हुई? चलिए जानते है-
Giant Imapct Hypothesis
Giant Impact Hypothesis Visualization |
4.5 अरब साल पहले, हमारा सौर मंडल एक भीड़-भाड़ वाली जगह थी। पूरा ब्रह्माण्ड उथल पुथल से घिरा हुआ था नए ग्रह बन रहे थे तो कुछ का विनाश हो रहा था। इसी बीच हमारे सौर मंडल में सूर्य लगभग 20 चट्टानी प्रोटोप्लैनेट से घिरा हुआ था, जिनमें से प्रत्येक सर्वोच्चता के लिए आपसे में युद्ध कर रहे थे और इस युद्ध में जीत उसकी हुई जो बड़ा था। चन्द्रविहीन पृथ्वी उन ग्रहों में से एक थी जिसने इन प्रोटोप्लैनेट के टकराने और आपसे में विलीन होने से आकार लिया था। पृथ्वी को अपने आकार में आने के 80 मिलियन साल के बाद इसका टकराओ Theia नाम के एक प्रोटोप्लैनेट से हो गया। माना जाता है की यह प्रोटोप्लैनेट 4000 मील का एक प्रोटोप्लैनेट था जिसका आकार आज के हमारे सौर मंडल के मंगल ग्रह यानि Mars के बराबर था।
Moon Formation According To The Giant Impact Hypothesis | Photo Credit - Internet |
पृथ्वी से Theia की टकराओ इतनी जबरदस्त थी की पृथ्वी की ऊपरी परत पूरी तरह से टूट कर बिखर गयी और अंतरिक्ष में चली गयी। पृथ्वी एक पिघली हुई गेंद बनकर रह गई। इस टकराओ से अंतरिक्ष में अरबो टन मलबा फ़ैल गया। पृथ्वी इन वाष्पीकृत चट्टानों के मलबों (Vapourized Rocks) से घिर गयी, इस घटना के लगभग 100 साल बाद इन घूमते हुए मलबे की डिस्क ठंडी हुई और Condense हो कर पिघले हुए चंद्रमा में बदल गयी। पृथ्वी की ग्रेविटी इस नए बने चंद्रमा को अपनी ओर खींच लेती है ओर यह पृथ्वी का चक्कर लगाने लगता है। आज इसी चक्कर लगाते Object को चन्द्रमा कहते है। Giant Impact Hypothesis से हर सवाल का जवाब नहीं मिलता, कुछ मॉडल्स से पता चलता है कि अगर ऐसे टकराने से चाँद बना था तो उसका करीब 60% हिस्सा Theia ग्रह का होता। पर २०१८ में वैज्ञानिको ने पाया की चाँद और पृथ्वी के मटेरियल में एक जैसी समानता है। किसी भी ग्रह का जेनेटिक कोड उस ग्रह के Isotopes के तत्वों में छुपा होता है और पृथ्वी और चाँद के Isotopes एक जैसे ही थे जिसका यह मतलब यह है की पृथ्वी और चाँद दोनों ही एक ही मटेरियल से बने हुए। जिससे Giant Impact Hypothesis पूरी तरह से गलत साबित होती है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि Theia का एक हिस्सा पृथ्वी की सतह में मिल गया और चारों ओर फैल गया। इसका एक बड़ा हिस्सा चंद्रमा का केंद्र बन गया, जो मूल रूप से इसका सबसे भीतरी हिस्सा है। यह सिद्धांत सब कुछ स्पष्ट नहीं करता है, लेकिन यह चाँद के बारे में बहुत कुछ बताता है। चाँद का अस्तित्व समझने लिए हमारे पास फिलहाल इससे बेहतर कोई दूसरा विकल्प नहीं है।
Georeactor Hypothesis
चाँद के जन्म को लेकर वैज्ञानिको और शोधकर्ताओं ने अपनी-अपनी विचारधाराएं, थ्योरी और परिकल्पनाएं भी बताई। उनमें से एक हाइपोथिसिस है Georeactor Hypothesis यह सिद्धांत यह कहता है की चाँद का जन्म पृथ्वी के मेंटल में एक प्राकृतिक परमाणु विस्फोट के बाद हुआ था, न कि पृथ्वी पर किसी विशाल ग्रह के टकराओ के बाद, जैसा कि पहले Giant Impact Hypothesis में बताया गया था। पृथ्वी के शुरुवाती इतिहास में पृथ्वी के अंदरूनी भाग में रेडियोएक्टिव एलिमेंट्स जैसे यूरेनियम की भरमार हुआ करती होगी और सेन्ट्रीफ्यूगल फाॅर्स के कारण यह यूरेनियम पृथ्वी के केंद्र में केंद्रित हो गया। नवनिर्मित पृथ्वी जो अनियंत्रित रूप से घूम रही थी जिसने रूप दिया पृथ्वी के अंदरूनी भाग में एक विनाशकारी परमाणु विस्फोट को। इस भयानक विस्फोट के कारण पृथ्वी से निकला मलबा स्पेस में जा पहुंचा, पर पृथ्वी की ग्रेविटी ने इन मलबों को दूर तक बिखरने नहीं दिया और यह मलबे आपसे में जुड़ने लगे जिसने चाँद का रूप ले लिया। इस सिद्धांत से पृथ्वी और चंद्रमा के बीच समानताएं आसानी से स्पष्ट हो जाएंगी, पर यह बात बड़ी नाटकीय ढंग से पेश हुई है और इस थ्योरी में भी कई उलझने है। कई शोधकर्तों की उलझन यह है क्या सच में यूरेनियम जैसे एलिमेंट्स को पर्याप्त रूप से पृथ्वी के केंद्र में जमा हो गया था जिससे परमाणु विस्फोट हुआ या फिर इस थ्योरी को लेकर भी हमें अपने दृष्टिकोण को बदलने की ज़रूरत है?
Synestia Hypothesis
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अभी तक हमने दो ऐसे सिद्धांतों को लेकर बात की जो चाँद के जन्म को लेकर अपनी अपनी कहानी बताते है और सालों तक शोधकर्ताओं द्वारा चाँद के जन्म की सच्चाई को लेकर कई सिद्धांत पेश किये गए। २०१८ में हुए एक नए शोध जिसमें Giant Impact Hypothesis पर पुर्नविचार किया गया तो उसमे से निकल के आया एक नया हाइपोथिसिस जो Synestia Hypothesis के नाम से जाना जाता है। इस नए सिद्धांत का ये कहना है की पृथ्वी और थिया के टकराओ से पृथ्वी इतनी अधिक ऊर्जा से प्रभावित हुई थी कि पृथ्वी और थिया दोनों से अधिकांश पदार्थ Vapourized हो गए, जिससे पृथ्वी के कोर के चारों ओर पूरी तरह से मिश्रित मलबे का एक गर्म बादल बन गए जो एक Fat Bagel के तरह दिखाई देता है और जिसको नाम दिया Synestia. पृथ्वी पूरी तरह से गैसों के गुब्बार जैसे जुपिटर की तरह हो गयी थी। Synestia जब ठंडी हुई तब पृथ्वी का निर्माण हुआ। Synestia ने हमें चंद्रमा की उत्पत्ति की गुत्थी को हल करने के लिए एक नया रास्ता भी बताया। चंद्रमा का निर्माण पिघली हुई चट्टानो की वर्षा से हुआ जो संघनित चट्टान वाष्प से निकला। Synestia के ठंडा और सिकुड़ जाने के बाद यह पता चला की शायद यह भी हो सकता है कि चंद्रमा लंबे समय तक नजरों से ओझल Synestia के भीतर चक्कर लगाता आया हो।
Moon Formation According To The Synestia Hypothesis | Photo Credit - Internet |
चंद्रमा का पृथ्वी से विशेष संबंध ऐसा इसलिए है क्योंकि चंद्रमा पृथ्वी के अंदर बना है जब पृथ्वी एक Synestia थी। Synestia सिद्धांत अभी भी अप्रमाणित है। लेकिन यह हमें चंद्रमा की उत्पत्ति के रहस्य को जानने के और अधिक करीब लाता है। चाँद अपनी उत्त्पति से लेकर एक बंज़र ज़मीन में तब्दील होने तक चाँद और क्या क्या राज़ अपने अंदर छुपाये बैठा है यह जानना बाकी है। आज हम जिस बंजर चट्टान के बारे में जानते हैं, वह बनने की राह पर, इसमें कभी तरल पानी रहा होगा - और यहाँ तक कि जीवन भी रहा होगा। अपने इतिहास में दो बार, चंद्र ज्वालामुखी ने चंद्रमा के आंतरिक भाग से भारी मात्रा में जलवाष्प को सतह पर लाया है। 4 से 3.5 अरब साल पहले इन विशाल गैसों के कारण सतह पर पानी और चंद्रमा का वातावरण भी रहा हो पर जीवन का क्या कोई भी अवशेष आज तक चाँद पर नहीं पाया जा सका। समय के साथ, सतह का सारा पानी सूख गया और इसका पूरा वातावरण सौर हवाओं ने अंतरिक्ष में बिखेर दिया। जैसे-जैसे पृथ्वी विकसित हुई, चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण ने इसके झुकाव को स्थिर कर दिया, जिससे जीवन को जलवायु में अत्यधिक उतार-चढ़ाव से बचाया गया।
हमारे चंद्रमा के बिना, पृथ्वी पर जीवन बहुत अलग होता, या अस्तित्वहीन होता। इसका इतिहास जानना अपने इतिहास को जानना है। हमारी जड़ें जुड़ी हुई हैं। चाँद के बारे में हमने बहुत कुछ जाना लेकिन रहस्य अभी भी बने हुए हैं। आज भी तारों में बीच पृथ्वी पर निगाहें टिकाये मजूद और पृथ्वी के अंत तक मजूद रहेगा।
समय समय पर शोध्कर्ताओं ने और वैज्ञानिको ने चाँद के जन्म और अस्तित्व के लिए अलग अलग थेरोरी और परिकल्पनाएं बताई है और कौन सी थ्योरी चाँद के जन्म के लिए कितनी सटीक बैठेगी यह अभी तक तय नहीं हो पाया है आप इन थ्योरी और चाँद के बारे में क्या सोचते है कमैंट्स सेक्शन में जरूर बताएँ |